Monday, September 20, 2010

हर एक क्षण है दिव्य मनोहर


परम प्रेम सागर है नटवर
नित्य निरंतर आनंद निर्झर

अनुगृह सिंचित मन के भीतर
करूणामय की छटा मनोहर

साँसों में एक अमर कथा है
हर एक क्षण है दिव्य मनोहर


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२१ मार्च २००९ को लिखी
२० सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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