गोविन्द धाम मन बसा मधुर
गोविन्द धाम मन बना मधुर
अनुपम केशव की कृपा, सखा
मुरलीधर मन में बसा मधुर
२
मन वृन्दावन आनंद सघन
चल श्याम गली तू प्रेम मगन
सौरभ कान्हा, जीवन उपवन
कर हर एक सांस श्याम दरसन
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२१ अप्रैल और २६ अप्रैल २००७ को लिखी
२३ सितम्बर २०१० को लोकार्पित
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