Thursday, September 23, 2010

श्याम दरसन

 
गोविन्द धाम मन बसा मधुर
गोविन्द धाम मन बना मधुर

अनुपम केशव की कृपा, सखा
मुरलीधर मन में बसा मधुर


मन वृन्दावन आनंद सघन
चल श्याम गली तू प्रेम मगन

सौरभ कान्हा, जीवन उपवन
कर हर एक सांस श्याम दरसन

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२१ अप्रैल और २६ अप्रैल २००७ को लिखी
२३ सितम्बर २०१० को लोकार्पित

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