Saturday, June 5, 2010

प्रभु मुस्कान मधुर अति पावन

prabhu muskaan madhur ati paavan
nirmal, sheetal, chinmay ho man
krishna naam ras leen nirantar
sahaj base jaakar vrindavan

प्रभु मुस्कान मधुर अति पावन
निर्मल, शीतल, चिन्मय हो मन
कृष्ण नाम रस लीन निरंतर
सहज बसे जाकर वृन्दावन

जय श्री कृष्ण
अशोक व्यास
१२ सितम्बर २००७ को लिखी
५ जून २०१० को लोकार्पित

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