दिव्य सुधारस पान करा दो ओ साईं
दूर हटा दो दुःख-दारिद्र्य की परछाई
अपना लो ऐसे ज्यूं सागर में बूँद मिले
अहंकार से छुड़ा करो पूरण साईं
तुम कण कण में बसे हुए यह याद रहे
परम प्रेम रस पान करा दो ओ साईं
राम-श्याम तुम, शिव-शक्ति तुम
तुमसे शाश्वत ज्योति मुखर फिर हो आई
दिव्य सुधारस पान करा दो ओ साईं
अशोक व्यास
१२ नवम्बर को लिखी २००७ में
लोकार्पित हुई २०१० के जून माह की १७ तारिख को
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