Wednesday, June 16, 2010

जल कर उजियारा देता है


मन में मंगल
प्रेम छलाछल
दीप कहे रख
मन नित उज्जवल

चल चल चल चल
मस्त चला चल
सुमिरन का
उजियारा आँचल 
जल कर उजियारा देता है
क्या नन्हा दीपक है पागल?

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
९ नवम्बर ०७ को लिखी
१६ जून २०१० को लोकार्पित

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