Thursday, June 10, 2010

मन में जाग्रत गोविन्द धाम


क्षमा क्षमा केशव 
कह उसने
जब देखी कान्हा की मुस्कान,
क्षमा भाव से
बाहर हो तब
मन में जागी दिव्य उड़ान

श्रद्धा और विश्वास जगा कर
जग सुन्दर कर देता श्याम
कृपा कटाक्षा करूणा सागर
मन में जाग्रत गोविन्द धाम 

अशोक व्यास
१४ अक्टूबर २००७ को लिखी
१० जून २०१० को लोकार्पित

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