Wednesday, June 23, 2010

उसकी करूणा से निखर रहा


मन तृप्त तृप्त, आनंद युक्त
करता है कविता छंद मुक्त
लेकर उड़ान का चित्र मगन
है ध्यानमयी सम्पूर्ण गगन


आनंद सार, नंदलाल संग
जीवन पुकार नंदलाल संग

उसकी करूणा से निखर रहा
संतोष धरे हर काल रंग

१२ मई और २७ मई २०१० को लिखी
२२ जून २०१० को लोकार्पित

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