Friday, June 18, 2010

बरसे बरसे कृपा तुम्हारी


हर उलझन के पार श्याम है
हर उलझन का सार श्याम है
साँसों में जब श्याम बसा हो
सारा जीवन दिव्य धाम है

केशव, करूणामय गिरिधारी
बरसे बरसे कृपा तुम्हारी
सेवा लायक बन पाऊँ मैं
कर दो ऐसा कृष्ण मुरारी

अशोक व्यास
१३ नवम्बर २००७ को लिखी
१८ जून २०१० को लोकार्पित

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