Wednesday, June 9, 2010

मन में चिर अपनापन कृष्ण


मन मोहन मन भवन कृष्ण
नित्य कृपा का सावन कृष्ण

मुरलीधर है मोर मुकुट संग
दिव्य सघन वृन्दावन कृष्ण

रास रचैय्या गिरिधारी 
करे प्रेम से पावन कृष्ण

बाल रूप से मोहे मैय्या
है तो सत्य सनातन कृष्ण

 सुमिरन रस से पता चले है
मन में चिर अपनापन कृष्ण

अशोक व्यास
११ अक्टूबर २००७ को लिखी
९ जून २०१० को लोकार्पित

No comments: