Tuesday, June 15, 2010

ये कैसा सफ़र है


कान्हा!
सत्य क्या है, कहाँ गया 
झूठ ही मिला, जहाँ गया

या गलत चश्मा था आँख पर
मैं जब जब यहाँ-वहां गया

बारूद पर घर है
इसका भी डर है

हवा में ज़हर है
ये कैसा सफ़र है

कान्हा!
सच्ची है या झूठी है ये आस
कि सहारा देता है तुम्हारा विश्वास
क्या करूं, संबल है बस एक ये प्यास
कि ह्रदय में हो जावे तुम्हारा निवास


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ नोव २००७ को लिखी
१५ जून २०१० को लोकार्पित

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