Sunday, June 13, 2010

Hai Kaun Disha Gantvya kaho


वृन्दावन में एक मोड़ खड़ी
तकती सूनी पगडंडी को
सूनी आंखे ले गोप सखी
सोचे 
क्यूं श्याम नहीं आये?


ले पवन पंख
भागे उमंग
प्यासी हिरनी
छाया के संग

अनुभव गंगा से पूछ रही
क्यूं छोड़ जाता शिव की निकली
है कौन दिशा गंतव्य कहो?


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२८ अक्टूबर २००७ को लिखी
१३ जून २०१० को लोकार्पित

1 comment:

amritwani.com said...

shukriya aap ka

badhao aap ko