Sunday, September 26, 2010

जा ना पाऊँ श्याम तक


प्रेम मगन हो ना सकूं
खींचे जगत बाज़ार
कहाँ सखी, कैसे मिले
श्याम मेरा सुकुमार,

हल्की-हल्की चाह की
लिए हुए यह प्यास 
जा ना पाऊँ श्याम तक 
बैठा रहूँ उदास 
 
 
अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
जून १, २००४ 

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भक्ति रस से सराबोर अच्छी रचना .