Tuesday, April 12, 2011


गिरिधारी की कर-कर  बतियाँ
अब पनघट पर बैठी सखियाँ

सोच रही हैं कहाँ गया वो
जो तोडा करता था मटकियाँ

सहज ध्यान में डूब गयी सब
कृष्णमई हुयी सबकी सूरतियाँ

भाव श्याम का नाव सरीखा
पार हो गयी सारी नदियाँ


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ अप्रैल 2011         
 

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