कृष्ण नाम धुन साथ ले, बैठा मंगल यान
प्रेमालोक उमड़ रहा, पग पग अमृत पान
निश्छल आनंद बरसता, पा सृष्टि का सार
एक परम सत्ता दिखे, लिए सभी आकार
गोप किसी को क्या कहें, सबमें है गोपाल
कहने-सुनने से परे, होते रहें निहाल
वृन्दावन की रेत में, अब भी है पद चाप
खेले मुझसे सांवरा और मैं करता जाप
मात यशोदा ने कहा, लीलाधर गोपाल
होगे स्वामी जगत के, मेरे तो बस लाल
जान गए, हर सांस संग, सजा श्याम सन्देश
परम कृपा आभा जगी, दुःख-शोक हुए शेष
माखन, मिसरी बाँट कर, मुस्काये नंदलाल
बोले मेरे भक्त का, सखा बने है काल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२० अप्रैल २०११
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