Sunday, April 17, 2011

छोड़ जगत की आग


कान्हा के मुस्कान में
करून स्नान दिन-रात
बरस गए, बीती उम्र
श्याम रहे बस साथ
गोविन्द के गुण गा रही
रसना है बड़भाग 
पाए शीतल मधुरता
छोड़ जगत की आग

अशोक व्यास
न्यूयार्क, एरिका
२० अक्टूबर २०११
          

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