श्याम तुम्हारे चरण दबाऊँ
मोर पंख से धूल हटाऊँ
माखन मिस्री खानी हो तो
अभी भाग कर मैं ले आऊँ
एक बात बस सोची है अब
साथ तुम्हारे, 'मैं' न लाऊँ
बस इतना सा मुझे बता दो
इस 'मैं' को रख कहाँ पे आऊँ
तुम हो कौन, कोइ न जाने
क्या महिमा मैं तेरी गाऊँ
जो कुछ कहता, लगे अधूरा
भला यही, मौन हो जाऊं
बात तुम्हारी सुनी सुनाई
कहो तो तुमको आज सुनाऊँ
क्या तुम मुझको ही पाओगे
अगर कभी तुमको पा जाऊं
खोना-पाना छोड़ छाड़ कर
बंशी की धुन मैं खो जाऊं
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२ अप्रैल २०११
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