कान्हा की बंशी धुन प्यारी
मिटा रही व्याकुलता सारी
छुड़ा गयी ममता के बंधन
परम मिलन की है तैय्यारी
कान्हा के मुख है मुस्कान
सकल सृष्टि में बंशी तान
उत्सवमय है सारी धरती
पावन छवि करे कल्याण
जय कान्हा, जय कृष्ण मुरारी
मधुर मधुर तव लीला सारी
कृपा किरण से छूकर तुमने
जगमग कर दी मति हमारी
जय श्री कृष्ण
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१९ अप्रैल २०११
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