Monday, April 4, 2011

तेरी कृपा का अभिनन्दन


इस खाली खाली बर्तन में
आलोक झरे
तव सुमिरन का,
हे केशव अब
हर सांस मेरी
है गान
तेरे ही चिंतन का,
हर क्षण
सजगता से
तेरी कृपा का अभिनन्दन
हे माधव! मधुसुदन
तुमको ही
नित्य नमन 

अशोक व्यास
१४ मार्च १९९७ को लिखी
४ अप्रैल २०११ को परिमार्जन और लोकार्पण            

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