Tuesday, April 5, 2011

मेरे-तेरे मन में कान्हा


मेरे-तेरे मन में कान्हा
देखो तो कण कण में कान्हा
और कहीं चाहे छुप जाए
दिखता अपनेपन में कान्हा

मेरा तो साजन है कान्हा
श्रद्धा का सावन है कान्हा
सांस सांस बंशी की धुन है
मेरी हर धड़कन में कान्हा 
  
मेरा तो जीवन है कान्हा
सचमुच अक्षय धन है कान्हा
रिझा रहा है लीला रस से
खुदमें नित्य मगन है कान्हा  

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
५ अप्रैल २०११  

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