जब कान्हा ने बंशी बजाई
श्याम सखा की मुरली
राधा ने छुपाई
फिर खुद ढूँढने लगी
कान्हा ने चुराई
अब घबराहट देख
राधा की
कान्हा को हंसी आई
बिन कहे
बात एक दूजे की
दोनों को समझ आई
सब के मन चहक उठे
फिर से
जब कान्हा ने बंशी बजाई
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१ अप्रैल 2011
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