अनुभव रस छू के श्याम
गए अभी झूम के
देखा था मोर मुकुट
मैंने तब घूम के
छवि कान्हा की मोहक
ठहर गयी साथ में
देखूं कोई देख न ले
इस छवि को चूम के
२
बावरिया कहने को
चाहे कोई कह जाए
पर जो है पास मेरे
वो कोई न पाए
बात नन्ददुलारे की
कहो, कही न जाए
और उसकी क्या कहे कोई
जिसे श्याम अपनाए
३
जय जय गोपाल लाल
देख देख मुस्काये
संशय का लेश मात्र
कहीं ठहर ना पाए
सत्य सांस, सत्य आस
कान्हा उर में आये
वृक्षों के पात झरे
पर वसंत ना जाए
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, ७ अप्रैल 2011
No comments:
Post a Comment