Thursday, April 7, 2011

जिसे श्याम अपनाए


अनुभव रस छू के श्याम
गए अभी झूम के
देखा था मोर मुकुट
मैंने तब घूम के
छवि कान्हा की मोहक
ठहर गयी साथ में
देखूं कोई देख न ले
इस छवि को चूम के


बावरिया कहने को 
चाहे कोई कह जाए
पर जो है पास मेरे
वो कोई न पाए
बात नन्ददुलारे की
कहो, कही न जाए
और उसकी क्या कहे कोई
जिसे श्याम अपनाए


जय जय गोपाल लाल
देख देख मुस्काये
संशय का लेश मात्र
कहीं ठहर ना पाए
सत्य सांस, सत्य आस
कान्हा उर में आये
वृक्षों के पात झरे
       पर वसंत ना जाए      


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, ७ अप्रैल 2011        

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