मन मोहन जी आन मिलो ना
ले बंशी की तान मिलो ना
यहीं तुम्हारे चरणों में हूँ
मिलना है आसान, मिलो ना
मनमोहन जी माखन लाया
तुम ना आये, तो खुद खाया
शायद तुमने छुप छुप खाया
या मेरा मन ही भरमाया
मनमोहनजी जान गया हूँ
मूल्यवान है मेरा जीवन
इसीलिए ओ केशव प्यारे
करता हूँ सब तुमको अर्पण
मन मोहन जी अब तो तय है
साँसों में अमृत की लय है
मेरे साथ तुम्हारा सुमिरन
सारा जीवन ही मधुमय है
जय हो जय हो कृष्ण मुरारी
जय जय जय मंगल हितकारी
लीलारस का कोष लुटा कर
पावन कर दी धरती सारी
जय श्री कृष्ण
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ अप्रैल २०११
1 comment:
बहुत सुन्दर| धन्यवाद|
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