Friday, April 15, 2011

मन मोहन जी आन मिलो ना


मन मोहन जी आन मिलो ना
ले बंशी की तान मिलो ना
यहीं तुम्हारे चरणों में हूँ
मिलना है आसान, मिलो ना

मनमोहन जी माखन लाया
तुम ना आये, तो खुद खाया
शायद तुमने छुप छुप खाया
या मेरा मन ही भरमाया

मनमोहनजी जान गया हूँ
मूल्यवान है मेरा जीवन
इसीलिए ओ केशव प्यारे
करता हूँ सब तुमको अर्पण


मन मोहन जी अब तो तय है
साँसों में अमृत की लय है
मेरे साथ तुम्हारा सुमिरन
सारा जीवन ही मधुमय है

जय हो जय हो कृष्ण मुरारी
जय जय जय मंगल हितकारी
लीलारस का कोष लुटा कर
पावन कर दी धरती सारी


जय श्री कृष्ण

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ अप्रैल २०११       
      

 

1 comment:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर| धन्यवाद|