Tuesday, April 26, 2011

गोवर्धनधारी की जय जय


अपने दर की दिशा बताई
करूणामय  है मित्र कन्हाई
सांस वास कर प्यार दिखाई
सुमिरन रस से तृप्ति कराई

गोवर्धनधारी की जय जय
जय भक्तो के सदा सहाई

अशोक व्यास
६ सितम्बर २००९ को लिखी
२६ अप्रैल २०११ को लोकार्पित       

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