Wednesday, March 3, 2010

82- पग पग उसकी ताल



१ 

हर हर गंगे 
यमुना मैय्या 
कृपा नदी है
करुणा गैय्या 

मुरली स्वर से 
पुलकित करते 
धन्य कर रहे 
कृष्ण कन्हैय्या 

२ 

कान्हा का सब खेल है
कान्हा की सब चाल
हर एक मोड़ उसका नगर
पग पग उसकी ताल

कर कान्हा के काज में
मन नित जमुना तीर
हर संकट घटता गया
बढा द्रोपदी चीर


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
फरवरी १७ और १८, २००५ को लिखी
मार्च ३, २०१० को लोकार्पित

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