कृष्ण नाम पालन करे
हरे ताप और पाप,
एक काज कर मन सदा
श्याम नाम का जाप,
अमृत सी मुस्कान से
कितना प्रेम लुटाय,
दर, दुविधा व्यापे नहीं
नित कान्हा करे सहाय
विनती है कर जोरी के
ओ मेरे घनश्याम
सांस लहर तिरता रहूँ
लेकर तेरा नाम
अशोक व्यास
२० फरवरी ०५ को लिखी
५ मार्च २०१० को लोकार्पित
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