Monday, March 15, 2010

94 - केशव चन्दन महक है



मुरली वाले की कृपा
बैठा अद्भुत यान,
दरसन मैय्या के हुए
उजियारे में स्नान,

बाँध कर्म की पोटली 
दी कान्हा के हाथ
कर सेवा की कामना
फिर फैलाए हाथ

केशव चन्दन महक है
मन रेंगे ज्यूं सर्प
लिपट श्याम से मस्त हो 
मिटे मोह और दर्प


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१५ मार्च २०१० को लोकार्पित
लिखी गयी १८ अप्रैल २००५ को

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