उत्तम है वह नाम जो
करे प्रेम संचार
कृष्ण सुमिर कर भाव से
दिखे सृष्टि का सार
दरस प्रेम से श्याम का
करे जो नर एक बार
रोम रोम निस दिन बहे
शुद्ध अनाविल प्यार
रे मन कर ले चाकरी
चल कर उसके द्वार
जिसका सुमिरन कर रहा
अमृत की बौछार
गोकुलवासी मोहना
माखनचोर कहाए
जो भी उसके संग हो
सो भी माखन पाए
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२३ मई ०५ को लिखी
२५ मार्च २०१० को लोकार्पित
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