Wednesday, March 31, 2010

भई राधा ही मोहन



कान्हा मुख मुस्कान मधुर
मिसरी की धेली
भाग रही राधा, कर कान्हा
बंशी ले ली

तान छेड़ कर बांधे
राधा को मनमोहन
तन्मयता जगी, तो
 भई राधा ही मोहन

१२ मई २०१० को लिखी
मार्च ३१, २०१० को लोकार्पित

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