Sunday, March 14, 2010

93-कृष्ण प्रेम रस स्नान

संकेत दिया कान्हा ने आज
अपेक्षा जनित बेचैनी का इलाज़

जहाँ, जो भी मिले अवसर
उसे श्याम कृपा का फल मान कर

जिस भी मनुष्य के साथ हो आदान प्रदान
उसे कृष्ण का ही एक रूप ले जान

जो कुछ भी हो अपना योगदान
उसे कृष्ण भगवान् की सेवा जान


बस इस तरह बढ़ती रहेगी आनंद की खान
नहीं रुक पायेगी प्रेम प्रवाह की अतुलित शान

रसमयता कान्हा की लीलाओं की 
सदा रहेगी ध्यान
ना अपेक्षा, ना शिकायत,
जिव्हा कर तू कृष्ण प्रेम रस स्नान
ना पछतावा, ना उलाहना 
मन कर तू कृष्ण प्रेम रस स्नान



अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका
१२ अप्रैल ०५ को लिखी
१४ मार्च २०१० को लोकार्पित

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