Tuesday, March 9, 2010

88 मन का नहीं पता

आता है आ 
ना भी आ
नाम तेरा है साथ
पत्ती पत्ती
से करूं
कान्हा तेरी बात

रस तेरी लीला कथा
रस है तेरा नाम
सच कहते हैं सांवरे
रसिया है तू श्याम

श्याम नाम रस से सखी
पहुँची जमुना तीर
भोग चढाऊं श्याम को
हलुआ, पूरी, खीर

नन्हा कान्हा पूछता
माखन कहाँ बता
मन में रख भूली कहीं
मन का नहीं पता

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका२४ मार्च ०५ को लिखी
९ मार्च २०१० को लोकार्पित 

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