आनंद आनंद आनंद आनंद
कृपा सरोवर, वृन्दावन धन
रास रचाए है मुरलीधर
संग धरा के झूमे अम्बर
घूम घूम कर एक हुए सब
बाजी कान्हा की मुरली जब
गोवर्धन धारी की लीला
कण कण उतरा प्रेम रसीला
धन्य गोपजन, सब पर वारि
जमुनाजी की बलिहारी
श्री वल्लभ विट्ठल गिरिधारी
श्री यमुना जी की बलिहारी
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ अरी ०५ को लिखी पन्तियाँ
२३ मार्च २०१० को लोकार्पित
1 comment:
aapka prem bhav krishn ke prti ,aapki kavitaoin mein jhlakta hai....
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