Wednesday, March 24, 2010


लिख घनश्याम प्रेम सरिता पथ
ले हरी कथा श्रवण पावन व्रत

गा आनंद अपार उजागर
रत्न लुटाते करुणा सागर 
लिख उसको नित प्रेम भरे ख़त
ले हरी कथा श्रवण पावन व्रत

२ 
अद्भुत लीला के दरस
अनुपम वैभव धाम
सारे धन से अधिकतम
सुमिरन रस घनश्याम


अशोक व्यास
१८ और २० मई २००५ को लिखी पंक्तियाँ
२४ मार्च २०१० को लोकार्पित 

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