Monday, March 7, 2011

नित्य मधुरता रस छलकाओ


सवाल भरा मौन
संशय भरा मौन
आपका स्पर्श
छीन लेता कौन

समीप आओ 
अपना बनाओ
ओ करूणामय
मुझसे गाओ 

नित्य मधुरता रस छलकाओ
प्यार अमिट अपना दिखलाओ
ओ अच्युत, ओ सखा अनूठे
कैसे प्रेमी बनूँ तुम्हारा, तुम बतलाओ 

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१८ जून १९९७ को लिखी
७ मार्च २०११ को लोकार्पित       

     

No comments: