Tuesday, March 29, 2011

समर्पण बाध्यता नहीं


ज्वार उतरा
शांत सागर
नन्ही लहर
निर्दोष, सरल
खेलती है
बीज पुरानी फसल के
रह गए तो

फिर उगेगा संशय
ज़हरीली होगी हवा

शक्ति प्यार है
शस्त्र प्रार्थना

समर्पण बाध्यता नहीं
आलिंगन है विस्तार का

अशोक व्यास
२३ मार्च १९९७ को लिखी
२९ मार्च २०११ को lokarpit  

          

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