ठाकुर तेरी बात ज्यूं
सुई- घास का ढेर
यहाँ वहां खोजा करूँ
नाम जपन हो देर
जब बैठूं धर ध्यान तिहरा
दिखने लग जावे जग सारा
यह वह बात दिखे
जिससे हो जावे मति का फेर
ठाकुर तेरी बात ज्यूं
सुई-घास का ढेर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२० मई १९९७ को लिही
९ मार्च २०११ को लोकार्पित
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