Tuesday, March 8, 2011

मन चंचल भटके बहुत


मन चंचल भटके बहुत
दूर श्याम से जाय
अमृत तट से दूर जा
घास-फूस को खाय

कांटे खाता जा रहा
मुख है लहूलुहान
रेगिस्तानी ऊँट सा
मन इससे अनजान


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
मंगलवार, ८ मार्च 2011 

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