Sunday, March 20, 2011

अमृतमय हर सांस


अब सौंप दिया तन को
मन को
वंदन करूणा के
सावन को

ओ श्याम सखा
मुरली वाले
मुस्कान तेरी दिखती जाये
जब जब देखूं
वृन्दावन को

विस्तार आनंद उल्लास
अमृतमय हर सांस

अशोक व्यास
२१ मार्च १९९७ को लिखी
२० मार्च २०११ को लोकार्पित      
  

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