नाम श्याम का साथ ले सखी
तज सब दूजी बात
बिना श्याम रस हीन सब
सूखे दिन और रात
प्रेम कमंडल हाथ ले
फिरता पथ अनजान
पर पग पग अपना लगे
वो रखता सब ध्यान
बोलो इतने प्यार से
शीतल हो हर सांस
पुलकित मन में धरा हो
कान्हा का विश्वास
रे मन अपना है वही
जिससे नित्य का नाता
वरना रिश्तों का सफ़र
चले फकीरा गाता
अशोक व्यास
४ जून १९९७ को लिखी
१३ मार्च २०११ को लोकार्पित
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