Tuesday, March 22, 2011

ले सुमिरन आधार


बीती राह बिसार पथिक
कर अपने पथ से प्यार

व्यर्थ संशयों की बस्ती से
मत ले उलझन की मार

तू ही है संकट गर अपना
तुझ में है निस्तार

तेरी आँखों में जादू है
तुझमें सब संसार

दूर दूर तक छोड़ झांकना
ले सुमिरन आधार

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ मार्च १९९७ को लिखी
               २२ मार्च २०११ को लोकार्पित          

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