बीती राह बिसार पथिक
कर अपने पथ से प्यार
व्यर्थ संशयों की बस्ती से
मत ले उलझन की मार
तू ही है संकट गर अपना
तुझ में है निस्तार
तेरी आँखों में जादू है
तुझमें सब संसार
दूर दूर तक छोड़ झांकना
ले सुमिरन आधार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१७ मार्च १९९७ को लिखी
२२ मार्च २०११ को लोकार्पित
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