कान्हा की बातों से ब्रज में उत्सव रचता
हर धड़कन में श्याम सखा का गौरव बजता
है उल्लास, उसी अच्युत के रंग से
घर घर, महके है देखो सत्संग से
कण कण में केशव प्यारे की ही माया है
वहां प्रकट वो, जहाँ प्रेम ने बुलवाया है
अशोक व्यास
२८ मई १९९७ को लिखी
१८ मार्च २०११ को लोकार्पित
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