Saturday, March 12, 2011

सुमिरन अमृत है तेरा


मंगल तेरा नाम है
सुन्दर तेरा रूप
सुमिरन अमृत है तेरा
लीला तेरी अनूप

ओ अमृतवर्षक घनश्याम
नित्य ढूंढता तेरा नाम
आँख बंद कर निकल पड़ा
चाहूं तू ले आकर थाम

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
४ जून १९९७ को लिखी
१२ मार्च २०११ को लोकार्पित         

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