जय गिरिधारी
श्याम बिहारी
मुरलीधर ब्रजराज गोपाल
राधा प्यारी
सखियाँ सारी
तुझे नचायें, प्रेम की ताल
मोर मुकुट धर
श्याम मनोहर
पीत वासन है, नयन विशाल
इन्द्र जी हारे
ब्रह्मा हारे
काट दिया मद का जंजाल
जय गिरिधारी
श्याम बिहारी
गले धरी वैजयंती माल
यासुमती मैय्या
प्रेम की छईया
मुख दिखलाये तीनो काल
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१० मई १९९७ को लिखी
१७ मार्च २०११ को लोकार्पित
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