बरसों से लिखता रहा
नित्य वही एक बात
साथ एक बस श्याम का
और ना कोइ साथ
आलिंगन कर श्याम का
मन में हर्ष अपार
मांग मांग कर बांटता
मैं कान्हा का प्यार
मैं की कश्ती छोड़ कर
थाम नाम पतवार
जाने कैसे हो गया
स्वतः भंवर के पार
अशोक व्यास
२८ मार्च १९९७ को लिखी
१९ मार्च २०११ को लोकार्पित
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