Wednesday, March 16, 2011

बदली जैसा रूप है



तीन  दोहे

उर में सुमिरन श्याम का 
नयन मधुर मुस्कान
निसदिन उसका नाम लूं
करूं उसी का ध्यान


सब लोगों के साथ में
मिले मधुर एकांत
कोलाहल के बीच भी
कान्हा रखता शांत


प्रेम करूं घनश्याम से
किस बिधि कौन बताये
बदली जैसा रूप है
आये फिर छुप जाए


अशोक व्यास
२ जून १९९७ को लिखी
१६ मार्च २०११ को लोकार्पित              
     

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