Tuesday, March 15, 2011

बतलाओ मुझको हे श्याम


प्रेम तिहारा किस बिध जागे
बतलाओ मुझको हे श्याम
क्यूं ऐसा जंजाल बिछा है
ले ना पाऊँ तेरा नाम

साथ तुम्हारा, नित्य निरंतर
सांस सांस हो तेरा ही स्वर
हे गिरिधारी
हे बनवारी
संग तुम्हारा कितना अनुपम
मधुर तेरा आनंदित धाम
प्रेम तिहारा किस बिध जागे
बतलाओ मुझको हे श्याम

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ जून १९९७ को लिखी 
१५ मार्च 2011 को लोकार्पित