एक शून्य से दुसरे शून्य तक
एक खालीपन से दुसरे खालीपन तक
धूल भरी आंधी की तपन में
हाथ-पाँव गल रहे
न पकड़, न जमाव
न दिशा, न गति
ईश्वर का नाम
बचपन की एक सुनहरी याद सा
गोल- गोल घूमता है
थका थका बोध
मैं नहीं हूँ कहीं भी
और अब भी
यह ख्वाहिश है
की मै हो जाऊं
अशोक व्यास
१५ मार्च १९९७ को
मुम्बई में लिखी गयी रचना
२३ मार्च २०११को न्यू योर्क से लोकार्पित
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