Wednesday, March 30, 2011

सुमिरन सुवास


अमृत अगार
करूणा अपार
आनंद धाम
मतवारे श्याम

हो तेरी प्यास
तुझमें निवास
हो तेरी आस
सुमिरन सुवास

जय मुरलीधर मोहन प्यारे
जय जय केशव अनुपम न्यारे


अशोक व्यास
२२ मार्च १९९७ को मुम्बई में लिखी पंक्तियाँ
३० मार्च २०११ को न्यूयार्क से लोकार्पित            

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