Monday, January 4, 2010

रखना मन सबसे अपनापन


शांत सरल मन चल वृन्दावन
खा ले मनमोहन संग माखन

बिरहन को अग्नि सा लागे
अपना तो प्रेमी है सावन

सुन्दरता आई सब जग की
खेले कान्हा, मन के आंगन

नित्य उदार रहो मन मेरे
जाने कौन रूप हो वामन

सारे जग में श्याम सखा है
रखना मन सबसे अपनापन

अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(जन ४, ०५ को लिखी कविता
जन ४, १० को लोकार्पित)

2 comments:

dweepanter said...

बहुत सुंदर रचना है।
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
pls visit.......
www.dweepanter.blogspot.com

Anonymous said...

sundar ati sundar
laxman vyas