आकर्षण बस कृष्ण का, और ना कोई खिंचाव
ले सुमिरन पतवार चल, बैठ कृपा की नाव
गोविन्द नाम सुना दिया, दिया जगत का कोष
कण कण है आनंद रस, क्षण क्षण है संतोष
प्रेम गीत गाता फिर, श्याम दिसे चहुँ ओर
सब शीतल, उज्जवल करे, मन में ऐसी भोर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(जन ६, ०५ को लिखी पंक्तियाँ
जन ६, १० को लोकार्पित)
ले सुमिरन पतवार चल, बैठ कृपा की नाव
गोविन्द नाम सुना दिया, दिया जगत का कोष
कण कण है आनंद रस, क्षण क्षण है संतोष
प्रेम गीत गाता फिर, श्याम दिसे चहुँ ओर
सब शीतल, उज्जवल करे, मन में ऐसी भोर
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
(जन ६, ०५ को लिखी पंक्तियाँ
जन ६, १० को लोकार्पित)
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