Tuesday, January 12, 2010

मुद्रा अर्पण वाली



आनंदित हर बात लगे
मन कान्हा आन बिराजे,
चलो सखी, उस डगर चलें
जहाँ कृष्ण प्रेम धुन बाजे

गोवर्धन धारी के मुख पर
छाई छटा निराली,
सिखला मुझको श्यामा प्यारी
मुद्रा अर्पण वाली

कृष्ण कृपा के कोष बिना
निर्धन राजे महाराजे,
आनंदित हर बात लगे
मन कान्हा आन बिराजे


अशोक व्यास
१ फरवरी २००६ को लिखी पंक्तियाँ
१२ जनवरी २०१० को लोकार्पित

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